Wednesday 26 September 2012


आज शायद  सारी रस्मे तोड़ दू ,
आज शायद दुनिया से मुह मोड़ लू !
लग जाओ गले आपके सारी हया  छोड़ दू ,
आज शायद हर बंदिश तोड़ दू !
नहीं जानती क्यों डरती हु दूर जाने से आपके ,
पर कर सकू बगावत तो किस्मत का रुख मोड़ दू !
सुकून मिलता है आगोश में आपके ,
आज शायद हर गम से नाता तोड़ दू !

आ जाओ , बस आ जाओ कभी न रूठने के लिए
कभी न छुटने के लिए बस आ जाओ !

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