Sunday 21 October 2012

अबकी जो छूटे तो वापस न आऊँगी
सजदे में जो झुका सर न उठाऊंगी
याद करना उन पलो को
जिस पल रोई मैं तेरे बगेर
अबकी जो हसी तो फिर न रो पाऊँगी
तेरा यो आना और बिन बोले चले जाना
अबकी जो रूठी तो फिर न मान पाऊँगी
जलील हुई हु खुदमे तेरे लफ्जो से
तेरी वो बाते न भूल पाऊँगी
चुप हू  सदियों से आश में तेरी मोहब्बत के 
अबकी बोली तो चुप न हो पाऊँगी
लफ्जो से तेरे छलनी  हो गया सीना मेरा
इन  जख्मो को कभी न दिखा पाऊँगी
आज रो - रो कर कह रहा है दिल मेरा
अब शायद ये रिश्ता और न जी पाऊँगी 

Wednesday 17 October 2012


मैने देखा एक सपनो का जहा 
जहा मैं थी और बस मैं थी !

उन चंद खुबसूरत यादो क साथ 
जिसपे बस हक तह मेरा और बस मेरा !

न उनके खोने का गम न चोरी होने का 
वो यादे है बस चंद यादे जो मेरी है बस मेरी !

Tuesday 16 October 2012


बददुआ बन चुकी  ज़िन्दगी 

बददुआ बन चुकी हो ज़िन्दगी जिसकी 
उसे मौत का खौफ कहा होगा !

बस जल न जाये चाहत उसकी 
शायद इसीलिए चाहत को दूर किया होगा !

डरता था मन कभी उसके दूर जाने से 
आज खुद किया रुखसत तो दिल भी टूटा होगा !

चंद लाइनों  में कहा समेत पाऊँगी खुद के टूटने को ,
अब बस कहना है अलविदा अपनों को !

काश रुखसती से पहले हो दीदार उनका ,
हम भी इस कसमकस में मरे  की बेपनाह मोहब्बत हमसे वो  करता होगा !

  

Tuesday 9 October 2012


ममता की मूक मूरत है ओरत
सूरज सी तेज है उसकी सूरत !

आँचल में उसके  असीमित प्रेम
बहता आखो में निश्छल प्रेम !

वक़्त पर बनी अबला से दुर्गा
पर रही हमेशा वो माँ !

आज साथ है वो कुछ पल के लिए ,
ये पल बदल जाये हर पल के लिए !

फासलों के नाम से डर लगता है ,
उनके बिना सब कम लगता है !

क्यों  ज़िन्दगी ऐसी राहों पे लाती है ,
जहा आ के हर रह बदल जाती है !

बेचेनी , बेबसी , लफ्जो से नफरत सी हो गयी है ,
ये ज़िन्दगी अब बस मेरी ज़िन्दगी हो गयी है !

अब सब कुछ एक नए सिरे से होगा ,
जिसमे मेरा वजूद शामिल होगा !

नहीं रहूंगी मैं अंजान दुनिया के रिवाजो से ,
करना होगा भरोसा अब उन्हें भी मेरी बातो पे !

एक नयी पहचान होगी,एक नया मुकाम होगा ,
शायद आने वाले इतिहास में मेरा भी नाम होगा !


Sunday 7 October 2012


सड़क पर सोती ज़िन्दगी ,
हर पल हर लम्हा रोती ज़िन्दगी !

कल की खबर नहीं ,
पर आज है बेखोफ ज़िन्दगी !

दर पर दर भटकती हू मैं ,
लेकिन ठिकाना  नहीं मेरा ये कहती ज़िन्दगी !

समय के साथ निकल जाउंगी  कही दूर ,
फिर न कहना रूकती नहीं ज़िन्दगी !

जिंदा हू तो कद्र नहीं मेरी ,
फिर कहोगे मिलती नहीं ज़िन्दगी !

Friday 5 October 2012

किसी ने आज कहा हमने बोलना छोड़ दिया 
हमने कहा, आप क्या जाने खामोसी भी बोलती है जनाब ....................
खामोसी को खामोश ही रहने दो कोई नाम न दो , 
जिसे आज तक नाम दिया वही बदनाम हो गये ! 

दो पल की मिली जब मुझे ये जिंदगी
 तो ख्याल आया आपका की आपके साथ जियेंगे 
पर अगले हे पल याद आया
हमारे बाद आप क्या करेंगे

Wednesday 3 October 2012

आज उनसे फिर बात हुई,
वही नाराजगी वही, वही खुराफात हुई !
नादाँ हु मैं जानती हु,
पर जानना चाहती हु उन्हें  बस यही बात हुई !
आतीत था कोई साथ उनके शायद यही डर सताता है उन्हें ,
यकीं मानिये हमें वास्ता नहीं आतीत से बस यही दरखवास्त हुई !
हर रिश्ता पाक है नजरो में हमारी ,
अब यही से  नयी शुरूवात हुई !
अर्श से फर्श तक बखरे है शब्द उनके 
अब बस यही हमारी कायनात हुई !
वो जो आदत थी कभी उनके साथ ,
आज हम है तो बस आज हमारे साथ ये वारदात हुई !



                                                                                                                           kavita ki kavita se

Monday 1 October 2012

जब कभी रोये उनसे गले लग कर तो लगा 
यू रोना ठीक नहीं पर अलग होने  के ख्याल ने और रुला दिया.........
नहीं जानती है क्या ये एहसास 
पर दूर मत होना यही है दरख्वास्त .............
kavitasinghnayal@gmail.com