Sunday 7 October 2012


सड़क पर सोती ज़िन्दगी ,
हर पल हर लम्हा रोती ज़िन्दगी !

कल की खबर नहीं ,
पर आज है बेखोफ ज़िन्दगी !

दर पर दर भटकती हू मैं ,
लेकिन ठिकाना  नहीं मेरा ये कहती ज़िन्दगी !

समय के साथ निकल जाउंगी  कही दूर ,
फिर न कहना रूकती नहीं ज़िन्दगी !

जिंदा हू तो कद्र नहीं मेरी ,
फिर कहोगे मिलती नहीं ज़िन्दगी !

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