बददुआ बन चुकी ज़िन्दगी
बददुआ बन चुकी हो ज़िन्दगी जिसकी
उसे मौत का खौफ कहा होगा !
बस जल न जाये चाहत उसकी
शायद इसीलिए चाहत को दूर किया होगा !
डरता था मन कभी उसके दूर जाने से
आज खुद किया रुखसत तो दिल भी टूटा होगा !
चंद लाइनों में कहा समेत पाऊँगी खुद के टूटने को ,
अब बस कहना है अलविदा अपनों को !
काश रुखसती से पहले हो दीदार उनका ,
हम भी इस कसमकस में मरे की बेपनाह मोहब्बत हमसे वो करता होगा !
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