Tuesday 16 October 2012


बददुआ बन चुकी  ज़िन्दगी 

बददुआ बन चुकी हो ज़िन्दगी जिसकी 
उसे मौत का खौफ कहा होगा !

बस जल न जाये चाहत उसकी 
शायद इसीलिए चाहत को दूर किया होगा !

डरता था मन कभी उसके दूर जाने से 
आज खुद किया रुखसत तो दिल भी टूटा होगा !

चंद लाइनों  में कहा समेत पाऊँगी खुद के टूटने को ,
अब बस कहना है अलविदा अपनों को !

काश रुखसती से पहले हो दीदार उनका ,
हम भी इस कसमकस में मरे  की बेपनाह मोहब्बत हमसे वो  करता होगा !

  

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