Wednesday 5 December 2012

एक लो जलाई है मन में 
एक ख्वाब आखो में जागा है ! 

जो कल था वो आज भी है 
बस एहसास थोड़ा ज्यादा है !

न कमजोर न बेचारी 
हम है आधुनिक नारी !

आधुनिकता का मतलब बस 
ओढने , पेहेनने से नहीं मन से है, 
नारीत्व का मतलब अब हमसे है !

न हटेंगे , न रुकेंगे ये संकल्प हमारा है,
आखिर अगली पीढ़ी को उसका हक भी दिलाना है !

Sunday 21 October 2012

अबकी जो छूटे तो वापस न आऊँगी
सजदे में जो झुका सर न उठाऊंगी
याद करना उन पलो को
जिस पल रोई मैं तेरे बगेर
अबकी जो हसी तो फिर न रो पाऊँगी
तेरा यो आना और बिन बोले चले जाना
अबकी जो रूठी तो फिर न मान पाऊँगी
जलील हुई हु खुदमे तेरे लफ्जो से
तेरी वो बाते न भूल पाऊँगी
चुप हू  सदियों से आश में तेरी मोहब्बत के 
अबकी बोली तो चुप न हो पाऊँगी
लफ्जो से तेरे छलनी  हो गया सीना मेरा
इन  जख्मो को कभी न दिखा पाऊँगी
आज रो - रो कर कह रहा है दिल मेरा
अब शायद ये रिश्ता और न जी पाऊँगी 

Wednesday 17 October 2012


मैने देखा एक सपनो का जहा 
जहा मैं थी और बस मैं थी !

उन चंद खुबसूरत यादो क साथ 
जिसपे बस हक तह मेरा और बस मेरा !

न उनके खोने का गम न चोरी होने का 
वो यादे है बस चंद यादे जो मेरी है बस मेरी !

Tuesday 16 October 2012


बददुआ बन चुकी  ज़िन्दगी 

बददुआ बन चुकी हो ज़िन्दगी जिसकी 
उसे मौत का खौफ कहा होगा !

बस जल न जाये चाहत उसकी 
शायद इसीलिए चाहत को दूर किया होगा !

डरता था मन कभी उसके दूर जाने से 
आज खुद किया रुखसत तो दिल भी टूटा होगा !

चंद लाइनों  में कहा समेत पाऊँगी खुद के टूटने को ,
अब बस कहना है अलविदा अपनों को !

काश रुखसती से पहले हो दीदार उनका ,
हम भी इस कसमकस में मरे  की बेपनाह मोहब्बत हमसे वो  करता होगा !

  

Tuesday 9 October 2012


ममता की मूक मूरत है ओरत
सूरज सी तेज है उसकी सूरत !

आँचल में उसके  असीमित प्रेम
बहता आखो में निश्छल प्रेम !

वक़्त पर बनी अबला से दुर्गा
पर रही हमेशा वो माँ !

आज साथ है वो कुछ पल के लिए ,
ये पल बदल जाये हर पल के लिए !

फासलों के नाम से डर लगता है ,
उनके बिना सब कम लगता है !

क्यों  ज़िन्दगी ऐसी राहों पे लाती है ,
जहा आ के हर रह बदल जाती है !

बेचेनी , बेबसी , लफ्जो से नफरत सी हो गयी है ,
ये ज़िन्दगी अब बस मेरी ज़िन्दगी हो गयी है !

अब सब कुछ एक नए सिरे से होगा ,
जिसमे मेरा वजूद शामिल होगा !

नहीं रहूंगी मैं अंजान दुनिया के रिवाजो से ,
करना होगा भरोसा अब उन्हें भी मेरी बातो पे !

एक नयी पहचान होगी,एक नया मुकाम होगा ,
शायद आने वाले इतिहास में मेरा भी नाम होगा !


Sunday 7 October 2012


सड़क पर सोती ज़िन्दगी ,
हर पल हर लम्हा रोती ज़िन्दगी !

कल की खबर नहीं ,
पर आज है बेखोफ ज़िन्दगी !

दर पर दर भटकती हू मैं ,
लेकिन ठिकाना  नहीं मेरा ये कहती ज़िन्दगी !

समय के साथ निकल जाउंगी  कही दूर ,
फिर न कहना रूकती नहीं ज़िन्दगी !

जिंदा हू तो कद्र नहीं मेरी ,
फिर कहोगे मिलती नहीं ज़िन्दगी !