Tuesday 9 October 2012


ममता की मूक मूरत है ओरत
सूरज सी तेज है उसकी सूरत !

आँचल में उसके  असीमित प्रेम
बहता आखो में निश्छल प्रेम !

वक़्त पर बनी अबला से दुर्गा
पर रही हमेशा वो माँ !

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