Tuesday 9 October 2012


आज साथ है वो कुछ पल के लिए ,
ये पल बदल जाये हर पल के लिए !

फासलों के नाम से डर लगता है ,
उनके बिना सब कम लगता है !

क्यों  ज़िन्दगी ऐसी राहों पे लाती है ,
जहा आ के हर रह बदल जाती है !

बेचेनी , बेबसी , लफ्जो से नफरत सी हो गयी है ,
ये ज़िन्दगी अब बस मेरी ज़िन्दगी हो गयी है !

अब सब कुछ एक नए सिरे से होगा ,
जिसमे मेरा वजूद शामिल होगा !

नहीं रहूंगी मैं अंजान दुनिया के रिवाजो से ,
करना होगा भरोसा अब उन्हें भी मेरी बातो पे !

एक नयी पहचान होगी,एक नया मुकाम होगा ,
शायद आने वाले इतिहास में मेरा भी नाम होगा !


No comments:

Post a Comment